STORYMIRROR

Reetesh Sharma

Others

3  

Reetesh Sharma

Others

खामोशियाँ

खामोशियाँ

1 min
174


वो जो ज़ुबाँ पर आते हुए लफ्ज़ों को सी

जाते हो तुम

मगर चुप रहकर भी अपने जख्मों को

बढ़ाते हो तुम


वो जो रौशनी तले, अंधेरे के साये में

रहते हो तुम।

और अपने को छुपाते भी हो

अंधेरा फिर भी ढूंढ़ लेता है तुम को

हमे हर इक परछाईं में नज़र आते हो तुम


हो अगर अकेले महज कुछ पल

मैंने देखा है बहुत सहम जाते हो तुम। 

वक़्त की सफेद चादर में जो रंग खोये हैं

तुमने

उन रंगों को ढूंढ़ते पाए जाते हो तुम


ये लम्हे जो गुज़र रहे हैं जैसे कतरा कतरा।

ज़िन्दगी बस इन्हीं लम्हो में बिताते हो तुम


गर साथ ले लो मेरा तो, बांट लेंगे हम

कुछ तन्हाइयाँ

कि कुछ पल तुम कुछ कहोगे।

कुछ पल हम बैठे सुनेंगे तुम्हारी खामोशियाँ 




ഈ കണ്ടെൻറ്റിനെ റേറ്റ് ചെയ്യുക
ലോഗിൻ