बिन फ़ेरे हम तेरे
बिन फ़ेरे हम तेरे
मनमीत तुझे मैं क्या बतलाऊँ, तुझ बिन झरते नैन।
बिन फेरे हम तेरे हो गए, तरसूं दिन और रैन।
कोमल अरमानों की कलियाँ, बिन पूछे क्यों खिल गई।
अनुभूति तेरी और मेरी, जाने क्यों मिल गई।
जग हमको न मिलने देगा, करेगा लाखों बैन।
बिन फेरे हम तेरे हो गए, तरसूं दिन और रैन।
प्रेम के तप में हम दोनों, हो गए गंगा समान।
तन का नही मिलन है मन का, हम है अब एक मान।
बँधी हुई जो डोरी तुझसे, टूटे जो पाऊँ न चैन।
बिन फेरे हम तेरे हो गए, तरसूं दिन और रैन।
राधा, मीरा सब ही तो हैं, बिन बन्धन के एक।
मैं भी उनसे ऐसे ही हूँ, जैसे हृदय हों एक।
मेरे उर की हर स्पंदन में, बसे तेरे सुनैंन।
बिन फेरे हम तेरे हो गए, तरसूं दिन और रैन।