Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Shalini Mishra Tiwari

Abstract

5.0  

Shalini Mishra Tiwari

Abstract

बिन फ़ेरे हम तेरे

बिन फ़ेरे हम तेरे

1 min
410


मनमीत तुझे मैं क्या बतलाऊँ, तुझ बिन झरते नैन।

बिन फेरे हम तेरे हो गए, तरसूं दिन और रैन।


कोमल अरमानों की कलियाँ, बिन पूछे क्यों खिल गई।

अनुभूति तेरी और मेरी, जाने क्यों मिल गई।

जग हमको न मिलने देगा, करेगा लाखों बैन।

बिन फेरे हम तेरे हो गए, तरसूं दिन और रैन।


प्रेम के तप में हम दोनों, हो गए गंगा समान।

तन का नही मिलन है मन का, हम है अब एक मान।

बँधी हुई जो डोरी तुझसे, टूटे जो पाऊँ न चैन।

बिन फेरे हम तेरे हो गए, तरसूं दिन और रैन।


राधा, मीरा सब ही तो हैं, बिन बन्धन के एक।

मैं भी उनसे ऐसे ही हूँ, जैसे हृदय हों एक।

मेरे उर की हर स्पंदन में, बसे तेरे सुनैंन।

बिन फेरे हम तेरे हो गए, तरसूं दिन और रैन।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract