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भरना नहीं ज़ुर्माना मुझे

भरना नहीं ज़ुर्माना मुझे

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अपने “मैं ” होने का,

भरना नहीं ज़ुर्माना मुझे

मैं सही हूँ, या नहीं हूँ,

किसी को समझाना नहीं मुझे।


खुद को खो कर, पागल होकर,

तुझे पाना नहीं मुझे

प्यार की गुलाबी दुनिया में,

फिर खो जाना नहीं मुझे।


मैं तुममे समाऊँ, तुम दुनिया में,

सिलसिला ये अपनाना नहीं मुझे

सब तुम्हारे लिए जरुरी है,

तो अंतिम आना नहीं मुझे।


अपने लिए थोड़ी सी जगह बनाने को,

सबसे टकराना नहीं मुझे,

मैं तुम्हे सब समझूँ, तुम औरों को,

प्यार ऐसा निभाना नहीं मुझे।


तुम्हें अपनी दुनिया साथ लेके चलना है तो,

अपनी दुनिया छोड़ आना नहीं मुझे,

तेरे थोड़े से सहयोग के लिए, सबके सामने,

गिड़गिड़ाना नहीं मुझे।


ये रिश्ता जिसमें, मैं, मैं नहीं,

वो निभाना नहीं मुझे

बराबर-बराबर चले तो अच्छा,

वरना बोझ ये उठाना नहीं मुझे

वजह मसलों की मिटे तो अच्छा,

झूट-

मुठ मन बहलाना नहीं मुझे।


वक़्त के साथ सब ठीक हो जाएगा,

झूठ ये सुनाना नहीं मुझे

कोई कोशिश नहीं करना,

और बदल जाना नहीं मुझे।


खुद को बदलना है तो बदलो,

कोई भी बदलाव लाना नहीं मुझे

प्यार की दुनिया में क्या-क्या है,

सपने वो दिखाना नहीं मुझे।


अब हक़ीक़त में सब चाहिए,

ख्वाबों में खो जाना नहीं मुझे

मेरे पॉंव जमीन पर है,

कल्पना में उड़ जाना नहीं मुझे।


स्वछंद मेरा मन हमेशा से है,

बेड़ियों में बंध जाना नहीं मुझे

मैं वही पागल हूँ,

जिससे तुमने प्यार किया था,

अब सुधर जाना नहीं मुझे।


मत करना मुझसे उम्मीद और अच्छाई की,

किसी के लिए भी, मिट जाना नहीं मुझे

बहुत दूर निकल गया है मेरा मन,

अब बुलाना नहीं मुझे।


मैं सही हूँ या नहीं,

किसी को समझाना नहीं मुझे

अपने “मैं” होने का, भरना नहीं ज़ुर्माना मुझे..।।


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