बच्चे हमको कितना सिखाते
बच्चे हमको कितना सिखाते
बच्चे हमको कितना सिखाते
हम कभी भी खो जाते
वो वर्तमान में वापिस बुलाते
किये वादे याद दिलाते
बच्चे हमको कितना सिखाते।
हम काम करते रहते पूरा दिन
या व्यस्त रहते यूँ ही
कुछ न कुछ फरमाइश करते
देखते हमे ज्यूँ ही
हमे हमेशा पास बुलाते
बच्चे हमको कितना सिखाते।
छुपते एक परदे के पीछे
एक बार, दस बार
हम उन्हें ढूंढ़ लेते वो हँसते हर बार
एक ही बात पे कितना मुस्कुराते
बच्चे हमको कितना सिखाते।
पुराने खेल के नए नियम
बच्चे ने बनाये
सीढ़ी सारी चढ़ी पर साँप से नीचे नहीं आये
सारी शर्ते हमसे मनवाते
बच्चे हमको कितना सिखाते।
फिर पेंसिल तेज की
फिर वाटर कलर करे
मछली रानी फिर से आयी
फिर हमने रंग भरे
बीता बचपन वापिस लाते
बच्चे हमको कितना सिखाते।
कभी हलवा, कभी जलेबी
कभी पास्ता, कभी शेक
ब्रेकफास्ट में आइसक्रीम खाते
और कभी केक
नए नए पकवान बनवाते
बच्चे हमको कितना सिखाते।
पल में राज़ी, पल में गुस्सा
पल में खेल खिलौना, पल में रोना
जागते हुए पूरी मस्ती
थक कर कहीं भी, कभी भी सोना
वर्तमान में जीते जाते
बच्चे हमको कितना सिखाते।
हम टीवी देखे, फ़ोन करे
कितना गुस्सा हम पे करते
साथ में बैठो, बस हमें देखो
नए नए कारनामे करते
लैपटॉप, टीवी फ़ोन रखवाते
बच्चे हमको कितना सिखाते।
सारी दुआओं, सारी मन्नतों
का जीता हुआ परिणाम है
हमारा बच्चा, हमारा सपना
हमारा कल का आह्वान है
क्यों उस पर झुंझलाते ?
बच्चे हमको कितना सिखाते।
कल बुलाओगे, दूर भाग जायेगा
तुम्हारी गोदी में न फिट आएगा
फिर तरसोगे गले मिलने को
कहीं दूर वो रहने चले जायेगा
चलो न अभी गले लगाते
बच्चे हमको कितना सिखाते।
एक बार ही बचपन आता है
एक बार में उसे यादगार बनालो
सारे काम जीवन भर रहेंगे
अभी साथ में कविता दोहरा लो
कुछ भी करके, साथ में आइसक्रीम खाते हैं
बच्चे हमको कितना सिखाते।
कितने अरमान हमारे भी
ये करेंगे, वो करेंगे
आज काम कर लेते है
छुट्टी को गार्डन चलेंगे
मगर, पलक झपकते बड़े हो जाते
बच्चे हमको कितना सिखाते।।