गरीब के घर पे भी राजकुमारी
गरीब के घर पे भी राजकुमारी
क्यूँकि गरीब के घर पे भी
राजकुमारी पैदा होती है
हीरे मोती में नहीं,
प्यार के पलने में सोती है।
सिर्फ दौलत ही नहीं होती,
पर नाज़ बड़ा होता है
उछलने कूदने खेलने को
मन आज़ाद बड़ा होता है।
प्यार, दुलार ,स्वछन्द बचपन,
उसकी जागीर होती है
क्यूँकि गरीब के घर पे भी
राजकुमारी पैदा होती है।
उसके सर पे आशीर्वाद का ताज़ होता है
उसके होने पे घरवालों को नाज़ होता है
उसकी हँसी में सबकी ख़ुशी होती है
क्यूँकि गरीब के घर पे भी
राजकुमारी पैदा होती है।
अखबारों में नहीं छपती खबर,
पैदाइश की या विदाई की
जमाने को नहीं परवाह
उसकी रख रखाई की।
अपनी छोटी सी कुटिया में
वो राज करते बड़ी होती है
क्यूँकि गरीब के घर पे भी
राजकुमारी पैदा होती है।
मैंने देखा है
किसी अमीर राजकुमारी को
हर पल मन मारते हुए
अपनों और बेगानों के
दबाव में सब हारते हुए।
वहीं कोई गरीब शहज़ादी,
मुस्कुराते हुए सोती है
क्यूँकि गरीब के घर पे भी
राजकुमारी पैदा होती है।
राज्य और दौलत से ही
राजस्वी जीवन नहीं मिलता
रेशम और मोती तले भी
कोमल मन नहीं मिलता।
माँ – बाप के लाड -प्यार से
लड़की से राजकुमारी होती है
क्यूँकि गरीब के घर पे भी
राजकुमारी पैदा होती है।।