STORYMIRROR

Garima Kanskar

Abstract

3  

Garima Kanskar

Abstract

भ्रम

भ्रम

1 min
539


हर इंसान

एक भ्रम

में जीता है

की जो भी

हो रहा है

वो वो कर रहा है

जबकि वो तो

सिर्फ एक

निमित्त मात्र होता है

बाकी तो कोई

शक्ति है

जो पूरी सृष्टि

को चला रहा है

जो इंसान न

कभी समझ

सकता है

न ही समझना चाहता है

न ही समझने की

कोशिश करता है

पता नही कब

टूटेगा उसका ये

भ्रम



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract