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भक्ति और भगवान

भक्ति और भगवान

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तुलसीदास ससुराल जो पहुंचे

पत्नी ने फटकार लगाई

 इतनी प्रीत राम से कर लो

तब कुछ बात समझ में आई।


प्रभु प्यार में रंग गए तब

राम है सब जगत का माली

 दिन रात प्रभु भजन में रहते

रामचरितमानस लिख डाली।


डाकू थे और धन थे लूटते

बाल्मीकि की अजब कहानी

रामायण की रचना कर दी

जब नारद की बात थी मानी।


नरसी भगत जब पैदा हुए थे

आठ बरस तक बोल न पाए

प्रभु भजन जब करने लगे तब

जीवन भर उसे छोड़ न पाए।


कोई बड़ा न कोई है छोटा

नानक कहते ये मान लो

एक ही ओंकार है

ये तुम सब पहचान लो।


रामानंद के शिष्य कबीर थे

दोहे उनके कुछ कहते हैं

मन के अंदर झांक के देखो

 प्रभु उसी में ही रहते हैं।


दृष्टि नहीं थी,प्रभु का वो तो

मन से दर्शन करते थे

सूरदास के भजन को सुनकर

आँखों में आंसू भरते थे।


छोटे कुल में पैदा हुए थे

चमड़े से जूत्ते बनाते

प्रभु की भक्ति में लीन थे रहते

गुरु रविदास थे कहलाते।


बैठे बैठे ज्ञान मिले और

पढ़ पढ़ पोथी पाए न

भक्ति से अपनी प्रभु को पा लो

व्यर्थ कभी ये जाए न।


भक्ति का है कौन सा मंत्र

कोई न पहचान सका

कैसे हमको प्रभु मिलेंगे

कोई न अब तक जान सका।


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