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parag mehta

Inspirational

5.0  

parag mehta

Inspirational

भीड़

भीड़

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करोड़ों की भीड़ यहां 

नाम मुझे इनमें बनाना है

बड़े से इन इश्तेहारों में

मुकाम अपना मुझे पाना है।


कोई याद क्यूं खींचे

मैं तो अब आजाद हूं

ज़रूरत जो हो मगर

तो मैं अब भी साथ हूं।


इन नई सी गलियों में

रास्ता अपना ढूंढना है

कोई साथ ले अगर कहीं

फिर वहीं तो मुड़ना है।


समुंदर की ये उठती लहरें

जब मुश्किल सवाल उठा लें

मेरे कदम डगमगाएं फिर

पर आखिर में सब संभाल लें।


पर नहीं हैं फिर क्यूं ये दिल

एक अलग उड़ान भरना चाहे

सिलसिले कुछ शुरू हो जाएं

पर दिल फिर भी बाज़ ना आये।


नाम तो फिर भी बनाना है

मुकाम अपना मुझे पाना है

किस प्यास को बुझाना है

ये ज़िन्दगी ऐसा ही फसाना है।


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