भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन
भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन
कार्तिक मास शुक्ल सप्तमी को हुआ सहस्त्रबाहु का अवतरण।
राजराजेश्वर, कार्तवीर्य, सहस्त्रार्जुन नाम, दशानन आया शरण।
महाराज हैहय की दसवीं पीढ़ी में माता पद्मिनी के थे संतान।
सुदशेन, चक्रावतार, सप्तद्रवीपाधि, दशग्रीविजयी थे कृतवीर्यनन्दन।1।
चंद्रवंशी महाराजा कृतवीर्य के थे परमवीर चक्रवर्ती एकमात्र संतान।
दत्तात्रेय से हजार हाथ का वरदान ले मिला सहस्त्रबाहु अर्जुन नाम।
विष्णु के 24वें अवतार, है भागवतकथा में इनका वर्णन।
लंकापति रावण को हराया, मिला इन्हें राजराजेश्वर का सम्मान।2।
है हयवंशी व सहस्त्रबाहु अर्जुन के लिए एक खराब समय भी आया।
सहस्त्रार्जुन ने जमदग्नि के आश्रम से कामधेनु माता को चुराया।
भार्गववंशी परशुरामजी ने क्षत्रिय राजराजेश्वर अर्जुन को हराया।
इसी कारण कहा जाए धरती से 21बार क्षत्रियों को मिटाया।3।
अखंड भारतीय संस्कृति के विस्तारक राजा सहस्त्रबाहु माटी के लाल।
महिष्मती(महेशपुर)म.प्र.में थी कर्मभूमि, तपोभूमि राजधानी विशाल।
जहाँ आज भी प्रसिद्ध राजराजेश्वर मंदिर में जलता 11अखंड दीपमाल।
धन्य कलार, कलाल, कलवार समाज जिनके अधिपति अर्जुन दिकपाल।4।
