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arun gode

Inspirational

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arun gode

Inspirational

भगवान बुद्ध

भगवान बुद्ध

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माता-पिताने सोचकर रखा नाम सिध्दार्थ

ताकि दुनिया को सिखा सके जीवन का सही अर्थ।

जीव-जंतु और मानव सेवा के बिना

बतायां सभी मनुष्यों का जीवन है व्यर्थ।


सभी धर्मो का है मूल आधार

ईश्र्वर का बतायां काल्पनिक अवतार।

लेकिन बुद्ध ने तपस्या से किया आविष्कार

वैज्ञानिक धर्म के है एकमात्र रचनाकार।


काल्पनिक ईश्र्वर के अस्तित्व को

पांच सौ वर्ष ई।सा। पूर्व में नकारा।

प्रकृती का सत्य ही है हमारा ईश्र्वर

बाकी धार्मिक मनघडंत बातें है नश्र्वर।


त्याग दिया राज वैभव और अपना परिवार

टालने शाक्य-कोलिय (निशाद) युध्द का वंश पर असर।

पुरे संसार को माना अपना परिवार

और चल पडे ज्ञान प्राप्ति के राह पर।


छोडकर ब्राम्हण संन्यासियो कि डगर

क्योंकि उनका ज्ञान था अपूर्ण व जर्जर।

असंख्य असत्य कल्पनाओं का भंडार

उन्में नहीं था सत्य खोजने के प्रति नवाचार।


पांचों संन्यासिओं से बुद्धने किया किनारा

वे थेकौंडनयभदिय वज्ज अस्सजि महानाम।

बुद्ध को करना था जीवसत्य का आविष्कार

ज्ञान प्राप्ति सत्य कि खोज की चुनी अनोखी डगर।


कठिन तपस्या से बुद्ध को हुआं साक्षात्कार

अंत में बोधि वृक्ष के निचे मिला ज्ञानसागर।

पहिले थे कपिलवस्तु राज्य के युवराज सिध्दार्थ

ज्ञानप्राप्ति से बने सिध्दार्थ से बुद्ध।

बुद्ध याने ऐसा मानव जो राग व्देशमोह से उपर

बुद्ध और बुद्धधर्म मातृभूमि का बना अलंकार।


बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति का मुख्य कारण

मनुष्य के दुःख व अंधविश्र्वस का निराकरण।

पांच नाराज सन्यासियोंसे बुद्ध ने किया शिष्टाचर

धम्म विचारधरा का उन्हे उपदेश देकर।


बुद्ध ने किया त्रिशरण और पंचशील मंत्र को स्वीकार

मैं बुद्ध की शरण में जाता हुं

मैं धम्म की शरण में जाता हुं

मैं संघ की शरण में जाता हुं

प्राणी हिंसा ना करना चोरी ना करना

व्यभिचार ना करना निंदा ना करना

और मादक पदार्थ से रहो हमेशा दूर।


मनुष्य के दुःख व अंधविश्र्वस का होगा निराकरण

बुद्ध के अष्टांगा मार्ग को अपनाकर।

सम्यक दृष्टी सम्यक संकल्प सम्यक वाणी

सम्यक कर्मांन्त सम्यक आजीविका सम्यक व्यायाम

सम्यक समाधि सम्यक स्मृति पर चलकर।


बुद्ध धम्म को प्रथम किया स्वीकार

वे थे मगध के सम्राट बिम्बिसार।

महाप्रजापति गौतमी बनी प्रथम भिक्षुणी संघ सदस्य

सभी वर्ण को दी दिक्षा बिना भेदभाव कर।


पारलौकिक तत्व को बुद्ध ने किया अस्वीकार

आत्मा-परमात्मा स्वर्ग- नरक के कल्पना को त्याग कर।

अनुयायीओं को अंततक देते रहे प्रबोधन जीवनभर

बुद्ध का महापरिनिर्वाण स्थान बना कुशीनगर।


बौध्द भिक्खु उपगुप्त उपदेश से प्रेरित होकर

सम्राट अशोक ने त्यागी मोर्य साम्राज्य की तलवार।

कलिंग युध्द नरसंहार के पीडा को देखकर

सम्राट अशोक निकल पडे बुद्ध के मार्गपर।


सम्राट अशोक धम्म से प्रेरित होकर

पुत्र-पुत्री को धम्म प्रचार के लिए श्रीलंका भेजकर।

बुद्ध को प्राप्त हुई थी दिव्य दृष्टि

पुरा संसार् ही थी उनके लिए सृष्टि।

बिना बेदभाव के दिया सभी वर्ण को दिक्षा

अपना दिपक स्वयं बनो की साभी को दि शिक्षा। 

बुद्ध और उनका धम्म विश्र्व का सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ बना


जो धातु पर अंकीत सबसे वजनदार धातु से बना।

सभी अनुयायीओं के लिए बुद्ध ने बतायें त्रिपिटक

सुत्तपिटक धम्मपिटक विनयपिटक है बुद्ध के त्रिपिटक।

पंचास से ज्यादा देशो ने बुद्ध धर्म को किया स्वीकार

लेकिन मात्राभूमि हुई धम्म शिक्षा के लिए लाचार।


पुरा संसार में बुद्ध मूर्तियों की है भरमार

बुद्ध धर्म के अवशेषो से भरा पडा है संसार।

सभी देश हुयें प्रगत वैज्ञानिक और समृध्द

बुद्ध धर्म अपना कर बुद्धमार्ग पर चलकर।


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