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RAJNI SHARMA

Inspirational

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RAJNI SHARMA

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भारतीय संस्कृति में मकरसंक्रांति का महत्व

भारतीय संस्कृति में मकरसंक्रांति का महत्व

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आते - जाते तीज त्योहार,

हमारी संस्कृति की पहचान,

पोराणिक कथाओं का ज्ञान करा,

वैज्ञानिक पक्षों को बताते।।

हमारा देश त्योहारों का देश है, राष्ट्रीय,धार्मिक व फसलों के त्योहार अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग प्रकार से मनाए जाते हैं। मकर संक्रान्ति भी फसलों का एक मुख्य त्योहार है।

वैज्ञानिक पक्षों के अनुसार वर्ष में दो बार सूर्य की स्थिति में परिवर्तन होता है। छह महीने उत्तरायण और छह महीने दक्षिणायन। अर्थात सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है तो उत्तरायण प्रारंभ होता है। सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में शुक्ल पक्ष यानी प्रकाश के मार्ग में प्रवेश करता है। शिशिर ऋतु से शीत ऋतु में बदलाव और मौसम में गर्माहट महसूस होने लगती है। पतझड़ ऋतु से बसंत ऋतु का आगमन। परिवर्तन ही जीवन का नियम है।

पोराणिक कथा के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु ने असुरों का अंत कर सभी को मंदार पर्वत के नीचे दबा दिया था। तिल की उत्पत्ति भी भगवान विष्णु से हुई थी। अतः मान्यता के है कि तिल का सेवन तन को गर्मी प्रदान कर निरोगी बनाता है।

मकरसंक्रांति को अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार तथा मध्य प्रदेश में मकरसंक्रांति, असम में बिहू, केरल में ओणम, तमिलनाडु में पोंगल, पंजाब में लोहड़ी, झारखंड में सरहुल तथा गुजरात में पतंग पर्व के नाम से। झारखंड में सरहुल का यह त्योहार चार दिनों तक मनाया जाता है। तमिलनाडु में मकरसंक्रांति , पोंगल के रूप में मनाई जाती है। इस दिन खरीफ की फसलें जैसे चावल, अरहर, मसूर आदि फसलें कटकर घरों में पहुँचती हैं। ताज़े दाल चावलों की खिचड़ी की खुशबू वातावरण को सुगंधित कर देती है। मिट्टी के घड़े में चावल, गुड़ व दूध का स्वादिष्ट पकवान बनाया जाता है। उधर इस दिन गुजरात में पतंगें उड़ाने का ख़ास रिवाज़ है। आकाश में उड़ती पतंगों की डोर जीवन में सदैव ऊँचा उड़ना सिखाती हैं। कुमाऊँ में इसे घुघुतिया भी कहते है। इस दिन आटे और गुड़ से बने पकवान की माला बच्चे पहनते हैं । जिसे बच्चे तोड़कर पक्षियों को खिलाते हैं। बच्चों में दयालु का भाव जागृत किया जाता है। तिल को अग्नि में प्रवाहित करना, तिल के पकवान बनाना, स्नान व सूर्योपासना का विशेष महत्व है।

जन-जन में उल्लास भर,

जीवन में नव उमंग है लाते,

प्रकृति महत्ता का पाठ पढ़ा,

एकता सूत्र में हमें पिरो जाते।।


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