भारतीय सेना को नमन
भारतीय सेना को नमन
वो लड़ रहा था अश्क़ भरकर जंग के मैदान में
जल रहा था इक पिता बिन पुत्र के शमशान में।
सरकार ने हाथों में उसके बाँधी थी देखो बेड़ियाँ,
चौथ पर तैयार थी, तोड़ने को संगिनी चूड़ियाँ।
खा रहा था वीर डटकर दुश्मनों की गोलियाँ,
मुंतज़िर बैठी थी ईद पर माँ बनाकर सेवियाँ।
लड़ रहा था देश की ख़ातिर वो जवान औज़ार से,
पुत्र से वादा था उसका आएँगे खिलौने बाज़ार से।
जब काट रहे थे घर के भेदी भीतर से अपने देश को,
तब लड़ रहा था सीमा पे वो भूलकर हर क्लेश को।
है नमन उस वीर को जो इस धरा का लाल है,
है संरक्षक वो हमारा और दुश्मनों का काल है।
