"भारत रथ सारथी"
"भारत रथ सारथी"
मां भारती के रथी, हम है भारत रथ सारथी।
मां भारती के पुत्र, हम है विश्व भारत सारथी।।धृ।।
माता सरस्वती बसेरा, है स्वर्ग जम्मू कश्मीर हमारा।
सुहाग है लड़ाख मेरा, हिंद मां बार बार पुकारती।।१
किसी के आगे ना झुकेंगे, दुश्मनों से नहीं डरेंगे।
कट जाएंगे हम मगर, ना बटेगी मां भारती।।२
ना उजड़ेगा स्वर्ग ये हमारा, ना बिखरेगा यह बसेरा।
सदा सुहागन मां की, सिंधु निर से करेंगे पूजा आरती।।३
आत्मनिर्भर हमें है बनना, है इरादा जन मनमें ठाना।
नवोन्मेष~समावेश~निवेश, बुनियादी सुविधा बनाती।।४
हम है किसान उन्नति के, करेंगे सेंद्रिय खाद्य खेती।
शून्य लागत अपार कष्ट से, उगाएंगे धान मोती।।५
जन जाग उठ है जहां, बनेगा अब सबकुछ यहां।
स्वदेशी अपनाएंगे स्वाभिमान से, करेगा राष्ट्र प्रगती।।६
विश्व गुरु हम ही बनेंगे, ज्ञान विज्ञान के जोर पर।
अविरत कष्ट से उद्यमी, भा~रथ को देंगे गति।।७
योग अध्यात्म आयुर्वेद से, सब भय रोग संहारती।
जन आत्मरथ है भागीरथी, जन भारती सब सारथी।।८
ना उच नीच, ना वर्ण द्वेष, ना रहेगी यहां जाती पाती।
एक ही रामराज्य होगा सबका, अखंड मां भारती।।९