भारत के वीर
भारत के वीर
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
कुछ अनसुलझे सवालों की व्यथा बताना चाहती हूँ,
भारत माँ के वीर सपूतों की गाथा सुनाना चाहती हूँ।
पूर्व पढ़े लिखे इतिहास को नहीं दोहराना चाहती हूँ ,
अनजानी अश्रु क़ीमत को ही समझाना चाहती हूँ।
मन खाली है घर खाली हैं उनको याद करे कैसे,
जो वापस ना लौट सके उनसे फ़रियाद करे कैसे!
मातृभूमि के खातिर जिसने सबकुछ अपना वार दिया,
उस बलिदानी रक्त की कीमत समझाना चाहती हूँ।
पुलवामा की घाटी को जिसने लहू-लुहान किया ,
अंधी नफरत में जिसने जख्म-ए-हिन्दुस्तान किया।
शायद भूल गए तुमने हर बार विफलता देखी है,
बालाकोट के जरिए आईना दिखालाना चाहती हूँ।
माँ का आँचल भीग रहा था बेटा तिरंगे में घर आया ,
पत्नी की चूडी चीख रही हृदय भाव ना उभर पाया।
इस साल की राखी बहन ने अंत समय में बांधी है,
बूढ़े कंधों पर पुत्र अर्थी का मर्म बताना चाहती हूँ।
ए हिन्द के रक्षक मैं तुमको बारम्बार प्रणाम करूँ,
वीरता की क्या व्याख्या मैं शब्द सारे कलाम करूँ।
पराक्रम के पर्याय तुम अमर अजर तुम्हारी ख्याति हैं,
आने वाली पीढ़ी को गुर्राता शेर दिखाना चाहती हूँ।