भारत के वीर
भारत के वीर
अपूर्व शौर्य से भरे,
अतुल्य तेज सूर्य सा ।
अगम्य पंथ हो भले,
डिगे न वीर राष्ट्र का ।
प्रचंड अग्नि ताप है,
पयोधि सा सुशान्त भी ।
सदैव शत्रु का करे,
सुवीर ही मदांत भी ।।
हिमाद्रि तुंग शृंग या,
अथाह नीर धार हो ।
अरण्य हों भले घने,
समक्ष या कि हार हो।
सपूत हिन्द के कभी,
थके नहीं रुके नहीं ।
जवान मातृभूमि के,
डरे नहीं झुके नहीं ।।
अमर्त्य शूर साहसी,
ललाम लाल भारती ।
विनम्र भाव से करें,
सभी अखण्ड आरती ।
अनन्य राष्ट्र भक्ति है,
पुनीत गंग धार सी ।
प्रवीर की कथा सदा,
अनूप वेद सार सी ।