STORYMIRROR

Neer N

Inspirational

3  

Neer N

Inspirational

बहाना ढूंढती हूँ

बहाना ढूंढती हूँ

1 min
378

खुद पर नाज़ करने का

कोई बहाना ढूंढती हूँ ,

पत्थरों के शहर में शीशे का

आशियाना ढूंढती हूँ ,

खुद पे नाज़ करने का

कोई बहाना ढूंढती हूँ


रोते हुए बच्चे को तो

सभी ने हँसा दिया,

अश्कों के दारिया में,

मैं हँसी का ख़ज़ाना

ढूंढती हूँ

खुद पे नाज़ करने का

कोई बहाना ढूंढती हूँ ।


तेरे ज़हन में भी कभी

मेरा खयाल तो आता होगा,

ख्वाबों के रास्ते में वो

आना- जाना ढूंढती हूँ ,


खुद पे नाज़ करने का

कोई बहाना ढूंढती हूँ ।

मंदिर, मस्जिद, गिरजा में

ना ख़ुदा को पाया मैंने,

उस फरिश्ते को अब हर

एक इंसान में ढूंढती हूँ ,

खुद पे नाज़ करने का

कोई बहाना ढूंढती हूँ।


डूबते को जिस तिनके का

सहारा होता है,

उस तिनके को में,

आंधियों और तूफ़ानों में

ढूंढती हूँ,


खुद पे नाज़ करने का

कोई बहाना ढूंढती हूँ ,

पत्थरों के शहर में

शीशे का आशियाना

ढूंढती हूँ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational