भाई कि कलाई
भाई कि कलाई
भईया की कलाई सजाई कच्चे
धागे से स्नेह भाव में बांध
काल कर्म मर्म बन गई भाई की कलाई!!
क्या सद्भावना संवेदनशील रिश्तों का अभिमान रिश्ता बहन भाई
काहे हुई प्रीति पराई, कच्चे धागे के बंधन निभाई!!
बचपन में करती झगड़ा लड़ाई
छोटी हों या बड़ी बहन, अंतर नहीं आराधना ही करता भाई!!
हर काल समय पल प्रहर में बहन संग भाई बहन की लाज सम्मान का गहना भाई!!
ग्रहण लगे ना चाँद सी बहन पर
कभी कोई बहना का कवच है भाई!!
कृष्ण ने द्रौपदी की लाज बचाई
कहती है दुनिया कृष्ण है भाव भगवान युग भाष्य भाई!!
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश!!
