भाग्य विधाता
भाग्य विधाता
जीवन जीने की कला सिखायें,
शिष्य को लोहें से स्वर्ण बनायें।
कर्तव्य परायण का पाठ पढ़ायें,
अनुशासन की अलख जगायें।
खुद समझें, फिर समझायें,
जो बच्चों के मन को भायें।
वह सचमुच शिक्षक कहलाता,
अपने देश का भाग्य विधाता।।
जीवन जीने की कला सिखायें,
शिष्य को लोहें से स्वर्ण बनायें।
कर्तव्य परायण का पाठ पढ़ायें,
अनुशासन की अलख जगायें।
खुद समझें, फिर समझायें,
जो बच्चों के मन को भायें।
वह सचमुच शिक्षक कहलाता,
अपने देश का भाग्य विधाता।।