"बेटियां"
"बेटियां"
बेटियां दोनों कुलों का श्रृंगार है।
माता-पिता के जीवन में सचमुच लाती बहार है।
जब ठुमुक-ठुमुक अंगना में चलती,
दिन भर की सब हरारत हरती।
रोशन कर देती है, कण-कण,
होती है करुणा की मूरत,
अद्भुत और बेमिसाल है।
त्यौहारों पर घर को सजाती,
अन्नपूर्णा वे बन जाती।
लोटा भर पानी भर लाती,
पिता के जीवन की सार है।
