बेटियाँ मज़बूर नहीं मजबूत होगी
बेटियाँ मज़बूर नहीं मजबूत होगी
नोच जाता है कोई तीन साल की कन्या को
अभी तो खिली नहीं थी फूल में कलियां को
तीन साल की मासूम ने अभी चलना सीखा था
निर्दय उस मानुस को ऐसा क्या उसमें दिखा था
तोड़ दिया अंकुरित फूल उसने प्यास मिटाने को
बैठ जाएंगे बुद्धिजीवी अब कानून सिखाने को
भारत में ऐसे हर मामले कोर्ट में पड़ जाते हैं
सुनवाई होते - होते काग़ज़ भी सड़ जाते हैं
कोर्ट कचहरी छोड़ो अब नया नियम बनाओ
चौराहे के बीच दरिंदों को अब जिंदा जलाओ
रूह काँप जाए उनकी, तब महफ़ूज़ बेटी होगी
तब भारत में मजबूर नहीं मजबूत बेटी होगी
