Kavita Sharrma
Inspirational
बेटी को स्कूल भेजो
पढ़ो और लिखाओ
अपने पैरों पर खड़े
रहना उसे सिखाओ
उसको भी है हक जीने का
अपने सपने पूरा करने का
अपनी सोच को बदल सरपंच जी
अब लकीर का फ़कीर ने बनाओं।
शिक्षा
कोई अपना....
ठहराव...
तुम बिन
शब्दों का माय...
मोहब्बत
साथ तुम्हारा
प्रेम की डगर
नया साल नयी उ...
सीख
अपने गुरु का वंदन जरूरी है सिर के ऊपर चंदन जरूरी है। अपने गुरु का वंदन जरूरी है सिर के ऊपर चंदन जरूरी है।
वृक्षों से ही जीव, प्राण वायु पाता है उनके कंदमूल फल से, भोजन पाता है। वृक्षों से ही जीव, प्राण वायु पाता है उनके कंदमूल फल से, भोजन पाता है।
एक आत्मविश्वास का नूर लिए सुदृढ़ सफल नारी की छवि जब मुझे है दिखती ! एक आत्मविश्वास का नूर लिए सुदृढ़ सफल नारी की छवि जब मुझे है दिखती !
जनसंख्या पर भार बढे , विकास के कांधे झुके। जनसंख्या पर भार बढे , विकास के कांधे झुके।
संगीत में अद्वितीय आकर्षण है संगीत है हमारे भावनात्मक संचार का रूप। संगीत में अद्वितीय आकर्षण है संगीत है हमारे भावनात्मक संचार का रूप।
जहाँ पति की पत्नी से नहीं बनी, वहाँ पीनी पड़ेगी चाय बिना छनी। जहाँ पति की पत्नी से नहीं बनी, वहाँ पीनी पड़ेगी चाय बिना छनी।
जो अपने स्वार्थ को तुम रखोगे जब साथ अपने। जो अपने स्वार्थ को तुम रखोगे जब साथ अपने।
यह अम्बर दूर नहीं हमसे हम कर्मवीर आरोही हैं। यह अम्बर दूर नहीं हमसे हम कर्मवीर आरोही हैं।
जब प्रीत रहे मन- ऑंगन तो, मन-मोर कभी उद्भ्रांत न होगा जब प्रीत रहे मन- ऑंगन तो, मन-मोर कभी उद्भ्रांत न होगा
नया दौर है , नई सोच का , बने दुनिया यह एक खिले फूलों सा। नया दौर है , नई सोच का , बने दुनिया यह एक खिले फूलों सा।
कर्तव्य परायण होता सदैव डॉक्टर, गरीब अमीर सबका ही होता हितकर। कर्तव्य परायण होता सदैव डॉक्टर, गरीब अमीर सबका ही होता हितकर।
दुःख कितना हो,हिम्मत कभी न हारा हूं मैं कठिनाइयों से लड़ने वाला ध्रुव तारा हूं। दुःख कितना हो,हिम्मत कभी न हारा हूं मैं कठिनाइयों से लड़ने वाला ध्रुव तारा हूं...
इस बिखरे हुए आशीर्वाद के माधुर्य को पकड़, इसकी शक्ति को अपनाएं क्यों न! इस बिखरे हुए आशीर्वाद के माधुर्य को पकड़, इसकी शक्ति को अपनाएं क्यों न!
तुम्हारी दुनिया में हम आना चाहते है गौर करो हम तुम्हें कितना चाहते है ! तुम्हारी दुनिया में हम आना चाहते है गौर करो हम तुम्हें कितना चाहते है ...
अलौकिक तेज ओज गौरव के,अथाह प्रशांत सिंधु थे तुम। अलौकिक तेज ओज गौरव के,अथाह प्रशांत सिंधु थे तुम।
आज कुछ नया करते हैं आओ ! बचपन जीते हैं। आज कुछ नया करते हैं आओ ! बचपन जीते हैं।
दोनों हाथों में भरकर, हर ख्वाहिश को उछाल दो। दोनों हाथों में भरकर, हर ख्वाहिश को उछाल दो।
वो शाम होते ढल जाएगा रातों से वह डर जायेगा । वो शाम होते ढल जाएगा रातों से वह डर जायेगा ।
कविता केवल कला नहीं है, कविता है जीवन का परिणय कविता केवल कला नहीं है, कविता है जीवन का परिणय
दुनिया की हर सजीव निर्जीव चीज का अस्तित्व सिक्के के दो पहलुओं की तरह होता है। दुनिया की हर सजीव निर्जीव चीज का अस्तित्व सिक्के के दो पहलुओं की तरह होता है।