बेटी
बेटी
बेटी नहीं पराया धन है सबको यह समझाना है
भले परायी हो जाए पर दिल से ही अपनाना है..
कुछ चंचल कुछ समझदार है
बेटों से ज्यादा वफादार है
बाद विदाई के हो ऐसे जैसे
मेहमां वो कोई बेशुमार है
मन-विकार को दूरकर नेह अधिक जताना है
बेटी नहीं पराया धन है सबको यह समझाना है ..
बेटी जब ससुराल पीहर आए
पहले जैसा न कुछ भी पाए
हक़दार हुए सामान का उसके
परायी कह कर भाई चिढ़ाए
बेटी सदा सर्वदा प्रथम रहेगी उसे बताना है
बेटी नहीं पराया धन है सबको यह समझाना है..
खूब प्रताड़ित हो बेटी जब पीहर आए
समाज संग परिवार को भी न ये भाए
बर्ताव ऐसा बेटी से जैसे कुकर्मी है कोई
सहो-लड़ो या मरो वहीं यही ताने सुनाए
रूढ़ीवादी मानसिकता से हाथ छुड़ाना है
बेटी नहीं पराया धन है सबको यह समझाना है.