Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Chandni Sethi Kochar

Abstract

4.5  

Chandni Sethi Kochar

Abstract

बेटी से माँ

बेटी से माँ

1 min
384



 

जब मैं बेटी थी तब ना समझ थी !

जब माँ बनी तब समझदार बनना पड़ा !

जब बेटी थी तब नखरे करती थी !

जब माँ बनी तब नखरों का त्याग करना पड़ा !

जब बेटी थी तब माँ पर ग़ुस्सा करती थी !

जब माँ बनी तब ग़ुस्से को छोड़ना पड़ा !

 


  माँ जीवन में त्याग करना जानती है,

क्योंकि उसने खुद कभी

अपनी माँ को उसके लिए त्याग करता देखा है !

माँ बेशक एक शब्द का अक्षर है,

मगर एक बच्चे की पूरी दुनिया

उस माँ में ही समाई है !

 


सोचा कर ही डर लगने लगता है ,

कि अगर ईश्वर ने माँ नहीं बनाई होती,

तो बच्चा अपने नखरे और अपना ग़ुस्सा

किसे दिखता।

शायद एक पिता भी माँ के जगह को

कभी भी नहीं भर पाता।

 


 

 तू माँ है तू ही जननी है ,

तेरे हर ग़ुस्से को मैं सहन कर लूँगा !

लेकिन तेरे बिना एक पल भी रहने की

सोचा भी नहीं सकता मैं

मेरी माँ !


 

 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract