बेटी एक वरदान
बेटी एक वरदान
सुंदर स्वस्थ सुकोमल सपना ।
जैेसे बेटी अंतर्मन की कल्पना।।
शोभित चंद्रभाल सी अल्पना ।
प्रस्फुटित ज्यों सद्यः कवि रचना।।
पितु मातृ ह्रदय का निर्झर गान ।
कारक द्वैकुल का स्थिर मान ।।
शक्ति स्वरूपा लक्ष्मी का प्रतिमान ।
होती संतति में बेटी एक वरदान।।
सिरजित सुरभित सृजन सागरिका ।
छवि माधुर्य ज्यों तारागन बीच चंद्रिका।।
कर्म पथ की ये अनवरत पथिका ।
है गम्य अगम्य लक्ष्य साधिका।।
सर्वत्र समग्र परचम लहराती ।
लोहा अपनी कर्मठता का मनवाती।।
बन डाॅक्टर , शिक्षक मानवता जगाती ।
निज शाश्वत सत्ता का एहसास कराती।।
करती सभी रूपों में त्याग बलिदान ।
उर-कंवल में टिकता नहीं अभिमान।।
किन्तु अक्षुण रखती निज स्वभिमान ।
होती संसृति में बेटी एक वरदान।।