बेटी बचाओ, बेटो को समझाओ !
बेटी बचाओ, बेटो को समझाओ !
गुमसुम - सी रहती है
कलियाँ हमारी,
खुश रहकर भी
न रह पाती बेचारी !
डर सा लगता
अपनों से इनको,
चाह कर भी
न खुश रह पाती बेचारी !
गुमसुम - सी है
ये कलियाँ हमारी,
तोड़ो न इनको
नन्ही है बेचारी।
घूरों न इनको
प्यारी से है प्यारी,
गुमसुम - सी रहती है
कलियाँ हमारी !
पलकों पर रखो
पैरों में न बांधो,
टूट सकती है
ये मुस्कान ये प्यारी,
गुमसुम - सी रहती है
कलियाँ हमारी ।
बनने दो फूल
खुशबू है सारी,
महकेगी दुनिया में
नन्ही मुस्कान हमारी,
नन्ही सी,
नन्ही सी प्यारी,
प्यारी कलियाँ हमारी...।
