बेटे का पत्र माँ भारती के नाम
बेटे का पत्र माँ भारती के नाम
तेरी गोद मे तो मै अभी आया,
मगर माँ स्नेह तेरा खुब पाया |
अपनी छाती से जो तुने फल उगाया,
उसमे है घङा भर अमृत समाया ||
तेरी यह सोंधी मिट्टी में,
मैंने चलना सीखा|
तेरी ये वादीयाँ और फूलों की खुशबू,
जिन्हे मै ना अभी तक भूल पाया|
तेरी ही आँचल मे मै महफूज था,
तुझमे ही तो मेरा कण-कण समाया ।
हमे सबकुछ देकर भी कुछ ना चाहा,
अब है तेरा बेटा शरहद पर आया ।।
