"बेशरमी"
"बेशरमी"
बेशरमी फैली हुई, आज घणी चहुँओर।
खूंटी लटकै आबरू, हुया पाप का जोर।
हुया पाप का जोर, डोर रिश्तों की टूटी।
बिखर रहे परिवार, प्यार की गठरी लूटी।
कहे भारती खूब, लगी होणे हठधरमी।
मरे पड़े संस्कार, फैलरी सै बेशर्मी।
बेशरमी फैली हुई, आज घणी चहुँओर।
खूंटी लटकै आबरू, हुया पाप का जोर।
हुया पाप का जोर, डोर रिश्तों की टूटी।
बिखर रहे परिवार, प्यार की गठरी लूटी।
कहे भारती खूब, लगी होणे हठधरमी।
मरे पड़े संस्कार, फैलरी सै बेशर्मी।