।बेरोजगारी।
।बेरोजगारी।
लड़खड़ा रही जीवन की गाड़ी।
बढ़ी है आज ऐसी बेरोजगारी।
जेब में नहीं है फूटी कौड़ी।
फिर भी जनता जाती दौड़ी।
बड़ी बड़ी खूब डिग्री धारे।
फिर रहे सड़कों पर मारे मारे।
लिए डिग्री सब घूम रहे हैं।
सड़कों की धूल फाॅ॑क रहे हैं।
कभी न किस्मत इनकी जागी।
आशाओं पर फिर गया पानी।
उम्मीदें धरी माॅ॑ बाप की रह गईं।
पढ़ाई लिखाई सब बेकार ही रह गई।
नौकरी ढूंढ़त उम्र निकल गए।
पाॅ॑व की चप्पल सब घिस गए।
शरीर सूख कर हुई गया काॅ॑टा।
आॅ॑खी हुई गई जैसे भाटा।
आशा नौकरी की अब छोड़ो यारा।
किसी फैक्टरी में तुम करो गुजारा।