बेकदर प्यार
बेकदर प्यार
ना समझ सके तुम मुझको और ना ही मेरा प्यार
थक चुकी हूँ मैं इस रिश्ते में अब मान लेती हूँ हार
भरोसा जीतकर मेरे पीठ पर करते रहे वार
बहला फुसलाकर रोजाना हरदिन हर बार
इस तरह अँधेरे में रखने की जरूरत नहीं पडती
कह देते खुदसे तुम,चली जाती ना झगड़ती ना लड़ती
खून के रिश्तों से बढ़कर समझा हमने तुमको
जानते नहीं थे इसका ये सिला दोगे तुम हमको
तुमने जैसे जो चाहा वैसे बना लिया खुद को हमने
पर हमारा तो नाम ही मिटा डाला तुम्हारे दिलसे तुमने
लगा ना था कभी किसी और की तरफ मुड़कर देखोगे
मुझसे छुपाकर मेरे पीठ पीछे एक सौतन भी रखोगे
तुम्हें किसी और का होता देखते बिखर न जाऊं कहीं
तुमने भी तय कर ही लिया हैं तो मेरा ठहर जाना जायज़ नहीं!