कितना सहेगा किसान
कितना सहेगा किसान
कहने को तो सभी कहते हैं किसान हमारा अन्नदाता
मगर उसके के हालातों का, तकलीफों का खयाल
तक किसी को नहीं आता
बड़ी बातें करके कहेंगे जवानों और किसानों के वजह से हैं ये देश जिंदा
किसान की मेहनत से अपना पेट भरने वाले कई लोग और सत्ताधारी
उसकी ही मांग पर करते हैं निंदा
ज्यादा बारिश हो या बारिश ही ना हो फ़िर भी होती हैं किसान की ही हानि
किसान मदद की पुकार लगाए तो सरकार करती हैं मदद की
ढोंग से अपनी मनमानी
नुकसान हानि वाले कानून अगर सरकार लाती हैं तो फिर
कैसे किसान चुप रह पाएगा
पसीना बहाकर जो उसने उगवाया उसका फल न मिले तो
उसका गुस्सा उसे जरूर आएगा
मिट्टी से जुड़ा इंसान वह, उसे बस मालूम हैं मेहनत से कमाना
बेटियों का रिश्ता किसानों से करने में हिचकिचाता हैं,
किसान को कम आंकता हैं जमाना
किसान खेतों में पसीना बहाता है इसलिए हमें शहरों में
अनाज वगैरह हैं आसानी से मिल पाता
अगर किसान भी खेती करना छोड़ दे और लग जाए नौकरी करने
तो हमारा शहरों में बसना मुश्किल हो जाता
अपने हक़ के लिए चाहे किसानों की कितनी भी जाने चली जाए
यहाँ किसी को फर्क नहीं पड़ेगा
उनके विषयों का राज करण किया जाएगा, किसी को अपने साथ खड़ा नहीं पाएगा,
अपने हालातों से किसान खुद ही लड़ेगा