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Dr.Pratik Prabhakar

Tragedy Others

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Dr.Pratik Prabhakar

Tragedy Others

बेचो डिग्रियाँ

बेचो डिग्रियाँ

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बेच डालो डिग्रियाँ

खरीदारों की कमी नहीं

वो आँख क्या हँसते 

जिनमें होती नमी नहीं।।


बेच डाला ही खुद को 

अब जमीर भी तो मर गया ।

बताओ शिक्षा के ठेकेदार

गढ़ोगे क्या किरदार नया।।


मोहपाश में लिपटे हो

एक दिन यह मोह भंग होगा।

जब कलंकित चेहरा

सरेआम यहाँ बदरंग होगा।।


खूब लूटे सरकार को

जनता तेरे चौखट पर रोती है।

याद रखना शिक्षा माफ़िया

हर ज़ुल्म की क़ीमत होती है।।


जब लोग वसूलेंगे तुमसे

तुम पछताओगे, चिल्लाओगे।

नज़रों में गिरोगे खुद के

तब हरिगुण ही बस गाओगे।।



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