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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

बदलाव

बदलाव

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बदलाव करना मुझ को सीखना है

चोरों के बीच रहकर जीना सीखना है


टूटना नहीं है, झुकना नहीं है

रस्सी बनकर मुझको जीतना है


कोई सताये आँख से रोना नहीं है

कोई डराये आईने को धोना नहीं है


खुद को बनाना है, चट्टान के जैसा

दिल को मुझ को चट्टान करना है


बदलाव करना मुझ को सीखना है

चोरों के बीच रहकर जीना सीखना है


आज से अपने दुःख को छोड़

अपने मुलायम दिल को तोड़

ख़ुद के दिल को नासूर करना है

अंधेरे के बीच रहकर,

अमावस को पूनम कहकर,

पापियों की ताकत पढ़कर

जड़ से ही पाप ख़त्म करना है


बिना देर के, बिना सवेर के

ख़ुद को ही कृष्ण-अर्जुन करना है



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