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Hemant Kumar Saxena

Abstract

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Hemant Kumar Saxena

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बदल गया मेरा देश ना जाने क्या

बदल गया मेरा देश ना जाने क्या

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 बदल गया मेरा देश ना जाने क्या होगा,

 सोच रहा हूँ भविष्य में ना जाने क्या होगा,


संस्कारिक पावनता संकट में है,

व्यवहारिक निश्छलता संकट में है,

संकट में है संतानों का भोलापन,

संकट में है बहन बेटीयों का यौवन,

राखी ढूँढ रही है सूनी कलाई को,

फ़ुरसत नहीं मिली शायद मेरे भाई को,


आनलाइन है सब सिस्टम ना जाने क्या होगा,

 बदल गया मेरा देश ना जाने क्या होगा,


अब बो हवा नहीं संदेशे लाती है,

कोयल की मीठी तान भी नहीं सुहाती है,

खेतों की हरियाली भी अब कहाँ भाति है,

कपट के बेटों से माँ की झोली खाली रह जाती है,


अरे बदल गया परिवेश ना जाने क्या होगा,

बदल गया मेरा देश ना जाने क्या होगा,


सावन जैसी बारिश अब कहाँ आती है,

झूला झूलने नहीं बहनें बातों में जाती हैं,

डर लगता है उन लोगों के अल्हड़ पन का,

बहन की सारी खुशियाँ घूँघट में रह जाती हैं,


 नहीं हैं बहन बेटी सुरक्षित ना जाने क्या होगा,

 बदल गया मेरा देश ना जाने क्या होगा।


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