Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Geeta Upadhyay

Abstract

4  

Geeta Upadhyay

Abstract

बड़ी ख्वाहिशे कहां हम गरीबों क

बड़ी ख्वाहिशे कहां हम गरीबों क

2 mins
356


हमारे घर में चूल्हा जले, बच्चों का पेट भरे, हम गरीब क्या जाने सरकार की नीतियां, इतनी सरकारें आई और चली गई हम तो वहीं के वहीं हैं। घर का गुजारा भी मुश्किल से होता है। बाबा के वक़्त से देख रहा हूं। खेतों में खून पसीना एक करके भी ढाक के तीन पात। कर्ज में कल भी थे, आज भी है और शायद कल भी रहेंगे। चुकता होता ही नहीं ।आज ही सुना है किसानों का आंदोलन चल रहा है।रामू कह रहा था पुरवा तू भी चल मैंने मना कर दिया।

अरे बेटा चला जाता दिगंबर कह रहा था कि वहां पर खाने पीने का अच्छा प्रबंध है। वह तो काफी समय के बाद गांव आया ।मैंने सोचा था कि उसकी शहर में ही नौकरी लग गई है पर वह तो आंदोलन में गया था।

मां बिरजू भी एक दिन गया था। पुलिस के जोरदार डंडे पड़े छुप छुपा कर आंदोलन से भाग आया।अभी आते वक्त मिला था।

क्या फायदा ?

सुनता हूं दुनिया बदल रही है।देश बदल रहा है पर अन्नदाता भीतर ही भीतर बिलख रहा है। दिन रात एक कर के सर्दी गर्मी बरसात सहकर जब लहराते खेत देखता है। तो उसका सीना गर्व से फूल जाता है। होठों की मुस्कान ही उसकी शान है।उसे कुछ भी नहीं चाहिए उसकी मेहनत का सही मेहनताना मिल जाए। कर्जे के अजगर से छुटकारा हो जाए। 

अरे मां ज्यादा 

"बड़ी ख्वाहिशें कहां हम गरीबों की"


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract