बचपन
बचपन
कितना प्यारा होता है बचपन,
कितने खुश और बेफिक्र रहते है हम।
बस करके मौज - मस्ती जी भर,
ना किसी की बात की चिंता ना होता है गम।
माँ पसंद का खाना खिलाती,
पापा पसंद के खिलौने दिलाते।
चोट हमें लगती तो आँख उनकी छलक जाती,
प्यार से गोद में उठा फिर हमारी चोट को सहलाते।
नाना - नानी, दादा - दादी भी खूब लाड़ लड़ाते,
मम्मी - पापा की डांट और मार से भी बचाते।
लौट ना सके हम जहाँ, बचपन एक ऐसी जन्नत है,
जिसे पूरा करना खुदा के भी बस में नहीं, एक ऐसी मन्नत है।
