STORYMIRROR

Deepika Das

Abstract

4  

Deepika Das

Abstract

अधुरी कहानी

अधुरी कहानी

1 min
228

दो शहरें सुना रही एक सी कहानी

आओ सुने कुछ उनकी जुबानी

कहानी है मासूमों के साथ हुई नाइंसाफी की

गुनहगारों को आसानी से मिली माफी की


चले गए दो सितारे जो चिराग थे अपने परिवार के

मिट गया नाम निशान उनका बिन किसी हथियार के

जिसने किया गुनाह घूम रहे वो खुले आम

दुनिया छोड़ने के बाद भी हो रहा नाम बदनाम


जिस देश में बेटियों को दिया जाता है देवी का स्थान

उसी देश में ही हो रहा उनका कुछ ऐसे अपमान

14जून से14 सितंबर तक चल रही थी एक लड़ाई

हुआ कुछ ऐसा 14 को जिसने इंसानियत पर कालिख लगाई


14 दिन तक लड़ी मासूम और अद्भुत साहस दिखाई

थम गई सांसे उसकी, कौन लड़ेगा इंसाफ की लड़ाई

सब ने मिलकर है सरकार से गुहार लगाई

क्या जनता की आवाज़ नेताजी तक पहुंच पाई


कहीं राजनीति के हत्थे चढ़ बच ना जाए दोषी

कुछ अलग कहानी सुना रही बड़े लोगो की खामोशी

सब बस बहती गंगा में हाथ धो अपनी छवि सुधार रहे

इंसानियत को भूल अपना पलरा झाड़ रहे

रो रहा है दोनों मासूम का परिवार


सुना सुना लगेगा अब तो हर तीज त्योहार

तीन बहनों ने है भाई को खोया

वहीं एक भाई का दिल भी बहन के लिए है रोया

अधूरे रह गए बिदाई के सपने

वाकई में क्या कोई है उनके परिवार के अपने


नहीं दिला सकते इंसाफ मत खुरेदो उनके ज़ख्मों को

दिल से रूह तक कांप जाने वाले उनके गमों को


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract