अधुरी कहानी
अधुरी कहानी
दो शहरें सुना रही एक सी कहानी
आओ सुने कुछ उनकी जुबानी
कहानी है मासूमों के साथ हुई नाइंसाफी की
गुनहगारों को आसानी से मिली माफी की
चले गए दो सितारे जो चिराग थे अपने परिवार के
मिट गया नाम निशान उनका बिन किसी हथियार के
जिसने किया गुनाह घूम रहे वो खुले आम
दुनिया छोड़ने के बाद भी हो रहा नाम बदनाम
जिस देश में बेटियों को दिया जाता है देवी का स्थान
उसी देश में ही हो रहा उनका कुछ ऐसे अपमान
14जून से14 सितंबर तक चल रही थी एक लड़ाई
हुआ कुछ ऐसा 14 को जिसने इंसानियत पर कालिख लगाई
14 दिन तक लड़ी मासूम और अद्भुत साहस दिखाई
थम गई सांसे उसकी, कौन लड़ेगा इंसाफ की लड़ाई
सब ने मिलकर है सरकार से गुहार लगाई
क्या जनता की आवाज़ नेताजी तक पहुंच पाई
कहीं राजनीति के हत्थे चढ़ बच ना जाए दोषी
कुछ अलग कहानी सुना रही बड़े लोगो की खामोशी
सब बस बहती गंगा में हाथ धो अपनी छवि सुधार रहे
इंसानियत को भूल अपना पलरा झाड़ रहे
रो रहा है दोनों मासूम का परिवार
सुना सुना लगेगा अब तो हर तीज त्योहार
तीन बहनों ने है भाई को खोया
वहीं एक भाई का दिल भी बहन के लिए है रोया
अधूरे रह गए बिदाई के सपने
वाकई में क्या कोई है उनके परिवार के अपने
नहीं दिला सकते इंसाफ मत खुरेदो उनके ज़ख्मों को
दिल से रूह तक कांप जाने वाले उनके गमों को