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Priyanka Gupta

Thriller Others

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Priyanka Gupta

Thriller Others

बचपन पीछे छूट गया

बचपन पीछे छूट गया

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बाहें फैलाये तरु राहें ताकते रह जाते हैं ,

नन्हे हाथों के इंतज़ार में फल सीधे ही बाज़ारों में पहुंच जाते हैं ,

फलों के लिए तरु तक आने वाला बचपन पीछे छूट गया।

बाग़ बगीचे गलियाँ सूनी आँखों से देखते रह जाते हैं ,

गिल्ली, डंडा ,पिठू कहीं कोने में आंसू बहाते रह जाते हैं ,

उनसे हंसी ठिठोली करने वाला बचपन पीछे छूट गया।

अचार, पापड़ बंद डिब्बों से झांकते रह जाते हैं ,

लडडू,जलेबी उत्सव की शोभा बन मुँह ताकते रह जाते हैं ,

उन्हें चटखारे ले लेकर खाने वाला बचपन पीछे छूट गया।

दादी की कहानियां संदूकों में बंद फुसफुसाती रह जाती हैं ,

नानी का घर हर दिन नयी राहें बनाता रह जाता है,

आपाधापी के दौर में रिश्तों की मिठास को चखने वाला बचपन पीछे छूट गया।


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