बचपन के खेल
बचपन के खेल
बच्चो का खेल खो गया ,
सब कुछ मोबाईल में हो गया,
संस्कारों की तरह खेल भी हुआ,
पुराने खेलों से मेल ना हुआ,।
जब से बस्तों का बोझ बढ़ें,
रह गए गिनती के खेल ,
कुश्ती , खोखो, आती पाती,
गुल्ली डंडा सब रह गए पड़ें ,।
क्रिकेट भी खेले मोबाईल पर,
फुटबाल भी खेल रहे है, उस पर,
कुछ दिन में सब खो जायेगा,
अब तो बचपन ही ना रह पायेगा,।