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Sourabh Dubey

Abstract Children Stories

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Sourabh Dubey

Abstract Children Stories

बचपन के दिन

बचपन के दिन

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वो आँगन का झूला, गिलहरी की कुटकुट,

वो पेड़ों की डाली, वो चिड़ियों के झुरमुट।

वो मेले तमाशे, कहाँ सब गए छिन,

बहुत याद आते हैं, बचपन के वो दिन।।


वो नानी के क़िस्से, वो दादी की बातें,

वो अम्माँ की झिड़की, वो बाबा की डांटें।

वो खोये खिलौने,रहे आज हम गिन,

बहुत याद आते हैं, बचपन के वो दिन।।


वो सुन्दर सी राखी में दीदी का चेहरा,

वो लड़ना झगड़ना, मगर प्रेम गहरा।

नहीं आज रौनक है, बहना तेरे बिन,

बहुत याद आते हैं, बचपन के वो दिन।।


वो जुगनू की बाती, वो छुटपन के साथी,

वो बगिया में चोरी, वो माली की लाठी। 

रख लो ये दौलत, दिला दो वो पलछिन,

बहुत याद आते हैं, बचपन के वो दिन।।


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