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Pallavi Agarwal

Romance Others

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Pallavi Agarwal

Romance Others

बातें मन की

बातें मन की

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काश! तुम अपने मन की आंखों से

मेरे मन में झाँक पाते और देख पाते 

विशाल समंदर अपनी इच्छाओं का

अपनी तमन्नाओं का।।


लेकिन हाँ, यहाँ कहीं एक मरुस्थल भी है 

जो बना है, तुम्हारे पुरुषार्थ से 

लेकिन इसमें नीर बहता है मेरे प्रेम का।।


वह प्रेम जिससे चमकता है

मेरी मांग में सिंदूर

मेरे माथे पर बिंदिया

मेरी चूड़ी की खनक

मेरी पायल की छम छम जिससे

मेरी दुनिया हो जाती है इंद्रधनुष


लेकिन वह मरुस्थल कह उठता है मुझसे कभी

काश! तुम भी बना पाते एक विशाल समुद्र

मेरी इच्छाओं का

मेरी तमन्नाओं का

मेरे सपनों का

ताकि मैं अपनी इंद्रधनुष दुनिया पर

आसमान के सितारे लगा पाती।।



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