मैं एक नारी हूँ
मैं एक नारी हूँ
नारी हूँ मैं
हर मन चाहें फूलों को पाना चाहतीं हूँ।
नारी हूँ मैं
उस कोयल की तरह खुले आसमान में कूकना चाहतीं हूँ।
नारी हूँ मैं
उस हिरनी की तरह मतवाली चाल से दौड़ना चाहतीं हूँ।
नारी हूँ मैं
उस चिड़िया की तरह पंख फैला कर उड़ना चाहतीं हूँ।।
नारी हूँ मैं
लेकिन नहीं कर सकती
क्योंकि नारी हूँ मैं
मैं पिंजरे में कैद उस मोरनी की तरह हूँ
जो अपने पैरों मे पड़ी अदृश्य बेड़ियों के कारण
मेघा के आने पर भी नाच नही सकती।