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Vivek Agarwal

Abstract Inspirational

4.9  

Vivek Agarwal

Abstract Inspirational

।। बातें बनाम कृत्य ।।

।। बातें बनाम कृत्य ।।

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तुम्हें पता है,

क्यूँ तुम्हारी किसी कड़वी बात का

मैं बुरा नहीं मानता।

क्यूंकि बातें अक्सर अस्थायी होती हैं।

बदलती रहती हैं मनोदशा के साथ।


सिर्फ बातों का कोई खास मूल्य भी नहीं होता,

बातें करने वाले लाख मिल जायेंगे। 

क्यूंकि बातें करना आसान है,

और उतना ही आसान है नकार जाना।  

बातें अक्सर हवा के झोंके सी आती हैं और चली जाती हैं। 


बस छोड़ जाती हैं एक अहसास।

जो मन को दे सकता है आह्लाद,

या विषाद,

या फिर क्रोध, ग्लानि, हताशा, चिंता, उल्लास। 

कुछ भी,

पर क्षणिक। 


कृत्यों की कहानी भिन्न है।

कृत्य प्रयास मांगते हैं,

इसीलिए जीवन पर अधिक असर डालते हैं।

कृत्यों का क्रय करोगे तो कीमत अधिक देनी होगी।

कृत्य हवा का झोंका नहीं,

अपितु समुद्र है। 


जिसकी लहरें आती रहेंगी,

तुम्हें छूने बार बार।

कृत्यों का प्रभाव रहता है,

घटित हो जाने के काफी समय बाद भी।

कृत्य मात्र मन को नहीं प्रभावित करते,

अपितु छू जाते हैं जिंदगी को।

और कभी कभी अस्तित्व को। 


तो मैं तुम्हारी बातें सुनता अवश्य हूँ,

थोड़ा प्रभावित भी होता हूँ,

पर मेरा ध्यान कृत्यों पर होता है। 

और क्यूंकि कृत्यों का परिणाम हृदय है जानता,

अतः किसी कड़वी बात का बुरा नहीं मानता।


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