बारिश
बारिश
काला ये आसमान, बारिश और मैं
कहने को बहुत कुछ, कम है तो बस समय
पानी ने आज सबको रोकने की ठानी है
थोड़ा सब्र कीजिए 'बारिश अभी बाकी है' ।
गिरती बुंदों को स्पर्श करता चेहरा
चाँद की रोशनी को बांध रखे बादलों का पहरा
बादलों को चीरकर एक रोशनी आती है,
पानी में मिलकर कुछ अलौकिक हो जाती है ।
मिट्टी के आलिंगन में मानो मदहोश ये बूँदें
सौंधी सी खुशबू मेरे मन को लूटें
ज़मीन पर पड़ती बूँदें संगीत बनाती हैं,
मानो कुछ दिव्य सा संदेश दे जाती हैं ।
हाथ फैला पाना चाहूँ मैं भी इन्हें
ना जाने क्यों रूठकर ये नीचे गिरैं
शायद मुझसे पहले इस ज़मीन की भीगने की बारी है,
थोड़ा सब्र कीजिए 'बारिश अभी बाकी है' ।
- हर्षित टहनगुरिया
