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Harshit Tahanguriya

Abstract

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Harshit Tahanguriya

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कश्ती

कश्ती

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मेरे मन के सैलाबों में एक शांत कश्ती हो तुम

सारी दुनिया रुक सी जाती है जब हस्ती हो तुम।


माना सामने बातें व्यक्त हम करते नहीं,

लेकिन जज़्बातों का पहाड़ लिए घूमते हैं,


ये बात क्यों नहीं समझती हो तुम।


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