STORYMIRROR

Chetan Kashyap

Abstract

3  

Chetan Kashyap

Abstract

बारिश : उदासी

बारिश : उदासी

1 min
664

इस झमाझम बारिश में

तेज़ चलते वायपरों के बावजूद

सामने धुंधला ही दिखता है


और मन के

अंदर भी

पड़ रही हैं फुहारें जैसे

धुंधली धुंधली यादों की


एस्बेस्टस वाली छत से

गिरता हुआ पानी

टर्र टर्र बोलते मेंढ़क


बरामदे में चढ़ आए चेरे

और बेशक

प्याज की पकौड़ी

खूब फेंट कर बनाई

हुई कॉफ़ी के साथ


एक मुस्कुराती हुई

धुंधली तस्वीर

ब्लैक एण्ड व्हाइट


गुनगुनाने लगा है मौसम

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract