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Saumya Jyotsna

Romance

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Saumya Jyotsna

Romance

बारिश की एक शाम और उसका ख्याल

बारिश की एक शाम और उसका ख्याल

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बारिश की एक शाम,

जब आई उसकी याद,

हाथ अचानक कलम की ओर बढ़े,

आंखों में नमी-सी छा गई।


कोरे कागज के पन्नों पर

अक्षरों की बरसात हो गई,

अल्फाजों को कलम में

क्या क्या करूं।


शब्दों की मौन स्वीकृति

कैसे स्वीकार करूं

उसका ख्याल आते ही,

शामें रौनक हो जाती हैं।


उड़ती है जब हवाएं,

उसके लिबास की

खुशबू आती है,

कलम फिर एक नई

इबादत गढ़ जाती है।


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