वसंत और तुम
वसंत और तुम
वसंत की फुहार से
मदमस्त है जहां,
खिल रही है क्यारियां
बहक रही है फिजां,
तेरे आने की आहट से
कई आस जगी है,
मेरे पिया मिलन की बात
फिर हवाओं ने कही है,
महकते फूल भी इतरा रहे हैं
मेरे साजन मुझे गजरों
से सजा रहे हैं,
आखों में बसे ख्वाब
दिल में उतर रहे हैं,
वसंत के साथ
तुम मेरे और करीब
हो रहे हो।