बारिश और लॉकडाउन
बारिश और लॉकडाउन
मैंने उससे पूछा, बारिश और लॉकडाउन
में कोई समानता दिखती है क्या?
क्या गज़ब करती हो तुम..
एक जीवन देती है, दूसरा छीनता है।
वो कैसे? पूछने पर उसने फरमाया,
बारिश की बूंदों से नया जीवन आता है,
लॉकडाउन से चलता जीवन रुक जाता है।
बारिश नई फूल पत्तियां उगाती है,
लोगों के जीवन में बहार लाती है
जबकि लॉकडाउन से उनकी सारी
गतिविधियां रुक जाती हैं।
रोज कमाने, रोज खाने वालों
के लिये ये मौत का पैगाम है,
जिंदगी जीने के किसी और
तरीके से वो अनजान हैं।
इस पर मैंने उन्हें बताया
लॉकडाउन को गलत न समझो,
जिंदगी तभी तो जीओगे जब
जिंदा बचोगे, गर लॉकडाउन
न लगाया गया...
तो न तुम जिंदा रहोगे, न बारिश
के मज़े ले पाओगे।
ये बारिश तो हर वर्ष आएगी
पर तुम्हारी सावधानी से फिर
लॉकडाउन लगाने की नौबत न आएगी।