बार-बार
बार-बार
पेड़ कहे बार-बार प्रकृति से कर लो प्यार
मत काटो मुझे यार मैं हूं बड़ा मददगार
आश्रित हो मुझ पर तुम फिर क्यों करते हो
तुम्हारे भूख की जुगाड़ मुझसे ही होती है
तुम्हारे पानी की जरूरत मुझसे पूरी होती है।
साँसे जो है जरूरी मेरी कमी से होगी उसकी कमी
ऑक्सीजन की कमी से जग की खुशियाँ रहेगी अधूरी।
वसुंधरा बिन पेड़ों के रह न पाएगी हरी भरी।