बापू
बापू
एक लकुटिया हाथ मे थामी,आजादी की हुंकार भरी
उसी लकुटिया की ताकत थी कि आजादी साक्षात हुई।
नित-नव,अभिनव प्रयोगों से दुश्मन के दिल डोल गये
देशी तो देशी ही थे परदेशी भी उसकी जय बोल गये।।
दाण्डी तक की डाक भरी,और नमक बनाया चौड़े में
डेढ़ हड्ड का कहो कोई भी,पर नही आँकना थोड़े में ।।
वो वाणी का दम ही था, जो बह उठता जनसैलाब वहाँ
ठाना करना यज्ञ बापू ने, इस भारत भू पर जहाँ जहाँ।।
कभी नमक, कभी सत्याग्रह और स्वदेशी आन्दोलन
बार-बार कर दिया बापू ने, दुश्मन के मन में कम्पन।।
विवश किया जाने को, समझा दी हठ की ताकत
सदा रहेगा विश्व गुरु ही, सोने की चिरैया ये भारत।।
उद्धार किया हरिजन औ अबला का,बुनियादी शिक्षा के बल पर
फिर से होगा रामराज ,और त्रेतायुग इस भूतल पर।।
आओ नमन करें बापू को, जिसने आजादी न्यौछार करी
बस एक लकुटिया के बल पर ही,आजादी की हुंकार भरी ।।